“धीरेंद्र शास्त्री का संदेश: देश में होनी चाहिए सिर्फ दो जातियां – श्रमिक और साधक”

हाल ही में बागेश्वर धाम के प्रमुख, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, ने अपने नौ दिवसीय मौन व्रत के बाद एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा, “देश में केवल दो ही जातियां होनी चाहिए—एक श्रमिक और दूसरी साधक।” उनके इस बयान ने समाज में जातिवाद की पुरानी धारणाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है और एक नई सोच की ओर इशारा किया है।

"धीरेंद्र शास्त्री का संदेश: देश में होनी चाहिए सिर्फ दो जातियां - श्रमिक और साधक"
“धीरेंद्र शास्त्री का संदेश: देश में होनी चाहिए सिर्फ दो जातियां – श्रमिक और साधक”

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान जातिगत भेदभाव और समाज में फैली असमानताओं पर एक सशक्त संदेश है। उन्होंने कहा कि समाज में धर्म और मानवता को बांटने वाली जातियों के बजाय, हमें ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए जहां केवल दो ही वर्ग हों—जो श्रम करें और जो साधना करें। उनके इस बयान का मकसद समाज को एकजुट करना और जातिवादी मानसिकता को समाप्त करना है।

शास्त्री जी के इस संदेश से लोग प्रेरित हुए हैं, और सोशल मीडिया पर इस बयान की खूब चर्चा हो रही है। कई लोग इसे एक सकारात्मक बदलाव की ओर बढ़ते कदम के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि यदि समाज श्रमिक और साधक जैसी जातियों को अपनाए, तो यह न सिर्फ देश की उन्नति के लिए लाभकारी होगा, बल्कि आपसी वैमनस्य भी कम होगा।

धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब समाज में जातिगत असमानताओं और भेदभाव की चर्चा लगातार हो रही है। उनका यह संदेश हमें एक ऐसे समाज की कल्पना करने के लिए प्रेरित करता है, जहां जातिवाद की जगह समता और एकता का राज हो।

शास्त्री जी ने यह भी कहा कि एक सशक्त समाज तभी बन सकता है, जब हम सब मिलकर मानवता के हित में काम करें और श्रमिक एवं साधक की जातियों का अनुसरण करें। उनके इस बयान से यह साफ हो जाता है कि वे समाज में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में सोच रहे हैं।

समाज में उनके इस बयान को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, और लोग इसे बदलाव की शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।

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